tag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post3794435022702802611..comments2023-05-28T19:23:33.131+05:30Comments on आलोचक: सीधे- सादे आदमी के घर एक अनजान मेहमान ,बेनामी की शाब्दिक पिटाई द्विवेदी जी और अशोक द्वाराशरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-43208651104465481982015-04-10T08:37:53.696+05:302015-04-10T08:37:53.696+05:30भाववादी आलोचना के परिभाषा की दरकार है कृपया बताएंभाववादी आलोचना के परिभाषा की दरकार है कृपया बताएंडॉ वेदप्रकाश (Dr.Vedprakash)https://www.blogger.com/profile/16913506231558420417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-60801601941736228312009-11-16T23:22:13.090+05:302009-11-16T23:22:13.090+05:30बहस तो मजेदार थी। अफसोस कि मैं देर से देख पाया। एक...बहस तो मजेदार थी। अफसोस कि मैं देर से देख पाया। एकतरफा न होती तो बेहतर था।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-42774896030949423502009-11-13T23:26:15.802+05:302009-11-13T23:26:15.802+05:30बढिया है. हमें तो टिप्पणियां पढ के मज़ा आ गया.बढिया है. हमें तो टिप्पणियां पढ के मज़ा आ गया.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-67565481096140348422009-11-09T11:23:16.636+05:302009-11-09T11:23:16.636+05:30शरद भाई
अच्छी परिचर्चा हुई
बस एक बात और कहनी है कि...शरद भाई<br />अच्छी परिचर्चा हुई<br />बस एक बात और कहनी है कि रिव्यू आलोचना नहीं होती है <br />अक्सर पत्रिकाओं में छपी समीक्षाओं को आलोचना कह दिया जाता है जो मेरी नज़र से सही नहीं है।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-2054237049994556062009-11-09T11:22:44.376+05:302009-11-09T11:22:44.376+05:30padhkar aanand to liya hi magar sabse mahtvapoorn ...padhkar aanand to liya hi magar sabse mahtvapoorn baat ye hai yaha bahut kuchh sikha aur kai vicharo se ru-b-ru ho achchhi jaankari hasil ki .disha suchak ...jeevan ke dono pahlu jaroori hai santulan banaye rakhne ke liye ,magar ati sarvatr varjete .yug parivartan ke saath dohe aur kahavte bhi matlab badlene lage ,sthai hokar bhi asthai hai ,nindak niyre raakhiye nahi ,prashansak niyre rakhiye ,aage, swatantra vicharo ki dhara hai ,kisi ne sahi kaha hai -jaaki jaisi bhavna.....aur sabke vichaar umda hai unhe kya dohrau shaadhuvaad .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-41731018536951957462009-11-06T15:22:28.021+05:302009-11-06T15:22:28.021+05:30Sharad ji maine link padhi.
आज आलोचना का अर्थ बद...Sharad ji maine link padhi.<br /> <br />आज आलोचना का अर्थ बदल गया है. फिर भी आलोचना जरुर होनी चाहिए लेकिन आलोचक को भी अपनी कसौटी पर खरा होना चाहिए. <br />आलोचक को समग्र रूप से अपने आस-पास या कहीं समाज में व्याप्त हिंदी की दुर्दसा के प्रति जागरूक होकर आलोचना करनी चाहिए.<br />मेरा तो मानना है की आलोचना जरुर होनी चाहिए इससे पता चलता है की और बेहतर प्रयास किया जा सकता है और आजकल तो प्रस्तुत करने का तरीका ही तो आना चाहिए.<br />कोई न कोई आलोचक होना ही चाहिए <br />बाकी आप जैसे जाने पहिचान और साहित्यकारों जैसा हम ज्ञान कहाँ?<br />आखिर में मैं तो यही कहूँगी <br />निदक नियरे रखिये ........................सुभाय.<br />कुछ अप्रिय लगे तो क्षमा कीजियेगा <br /><br />www.kavitarawatbpl.blogspot.comकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-78141125679747076462009-11-06T15:20:40.176+05:302009-11-06T15:20:40.176+05:30Sharad ji maine link padhi.
आज आलोचना का अर्थ बद...Sharad ji maine link padhi.<br /> <br />आज आलोचना का अर्थ बदल गया है. फिर भी आलोचना जरुर होनी चाहिए लेकिन आलोचक को भी अपनी कसौटी पर खरा होना चाहिए. <br />आलोचक को समग्र रूप से अपने आस-पास या कहीं समाज में व्याप्त हिंदी की दुर्दसा के प्रति जागरूक होकर आलोचना करनी चाहिए.<br />मेरा तो मानना है की आलोचना जरुर होनी चाहिए इससे पता चलता है की और बेहतर प्रयास किया जा सकता है और आजकल तो प्रस्तुत करने का तरीका ही तो आना चाहिए.<br />कोई न कोई आलोचक होना ही चाहिए <br />बाकी आप जैसे जाने पहिचान और साहित्यकारों जैसा हम ज्ञान कहाँ?<br />आखिर में मैं तो यही कहूँगी <br />निदक नियरे रखिये ........................सुभाय.<br />कुछ अप्रिय लगे तो क्षमा कीजियेगा <br />www.kavitarawatbpl.blogspot.comकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-15317355219751295612009-11-06T00:18:54.115+05:302009-11-06T00:18:54.115+05:30खुशदीप सहगल जी से सहमतखुशदीप सहगल जी से सहमतराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-17036666659505866402009-11-05T18:43:15.580+05:302009-11-05T18:43:15.580+05:30शरद जी ..
किसी भी चीज़ को प्यूरीफ़ाईड करने के लिए ...शरद जी ..<br />किसी भी चीज़ को प्यूरीफ़ाईड करने के लिए ..आलोचना, समालोचना, विवेचना..और कोई भी चना ..करनी पडे तो करनी चाहिये..हां करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखना पडता है कि ..एक तो आपकी नीयत स्पष्ट हो..न सिर्फ़ हो बल्कि दिखे भी ...और ये कोई मुश्किल तो नहीं है । हिंदी ब्लोग्गिंग एक साथ बहुत से चेहरों को ओढ के चल रही है ,,जाहिर है कि सब अलग अलग लेपों का असर है...टिकेगा वही जो शाश्वत और सुंदर होगा ...और ये अपने आप तय हो जाता है । अब ये शुरू हुआ है तो जाहिर है कि अपना मुकाम भी पा ही लेगा ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-13386403430088929472009-11-05T17:26:32.265+05:302009-11-05T17:26:32.265+05:30और अपनी पोस्ट पर मेरी टिप्पणियों का बुरा मत मानिये...<b>और अपनी पोस्ट पर मेरी टिप्पणियों का बुरा मत मानिये </b><br /><br />भई बुरा मानने या न मानने के बारे में तो तभी सोचेंगें न, जब हमारी किसी पोस्ट पर आपकी टिप्पणी देखने को मिलेगी :)Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-33029964040512853792009-11-05T14:19:51.088+05:302009-11-05T14:19:51.088+05:30संगीता पुरी जी की बात से सहमत हूँ।संगीता पुरी जी की बात से सहमत हूँ।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-45375951952181012342009-11-05T13:32:16.316+05:302009-11-05T13:32:16.316+05:30baanch kar sukh bhi mila aur gyaan bhi...........
...baanch kar sukh bhi mila aur gyaan bhi...........<br /><br />dhnyavaad !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-40630688101216349792009-11-05T11:43:09.130+05:302009-11-05T11:43:09.130+05:30शरद भाई-जो भी बेनामी रहे होंगे उनके मन मे वे पश्न ...शरद भाई-जो भी बेनामी रहे होंगे उनके मन मे वे पश्न पैदा हो रहे थे और स्वयं मुह दिखाकर पुछ नही सकते थे इसलिए बेनामी हो कर पुछा, आपने अच्छा किया जो उनकी जिज्ञासा शांत की-और आलोचना तो अत्यावश्यक है, इससे लेखक का लेखन भी निखरता है और आने वाली पीढी को कचरा मिलने की जगह उत्कृष्ट रचनाएं मिलती है। आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-16941362179069031092009-11-05T09:39:09.771+05:302009-11-05T09:39:09.771+05:30आलोचना से सम्बंधित कई भ्रांतियां दूर हुई ...आभार ....आलोचना से सम्बंधित कई भ्रांतियां दूर हुई ...आभार ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-48649973584504576122009-11-05T09:37:20.279+05:302009-11-05T09:37:20.279+05:30इतनी लम्बी चौड़ी खाने के बाद अब नहीं आयेंगे वे बेना...इतनी लम्बी चौड़ी खाने के बाद अब नहीं आयेंगे वे बेनामी महोदय दुबारा आपके घर !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-12567308836678624872009-11-05T09:34:19.851+05:302009-11-05T09:34:19.851+05:30शरद जी,
ब्लाग पर आलोचना ने अपना पैर रखा है। यह हिन...शरद जी,<br />ब्लाग पर आलोचना ने अपना पैर रखा है। यह हिन्दी ब्लाग के विकास का प्रमाण है। अब तक निंदा और प्रशंसा दोनों थीं। लेकिन आलोचना भी कुछ हद तक थी ही। मैं ने स्वयं अनेक टिप्पणियाँ ऐसी कीं जिन में रचना की कमियों की तरफ इशारा था। उन्हें लेखकों ने स्वीकार और पसंद किया। धीरे-धीरे आलोचना यहाँ भी ग्राह्य हो लेगी। लेकिन ब्लाग जगत में आलोचना सकारात्मक तत्वों को निकाल बाहर लाने से आरंभ होनी चाहिए। बाकी चीजें तो पाठक भी चीन्हने लगे हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-80113539445395919812009-11-05T09:23:53.066+05:302009-11-05T09:23:53.066+05:30सचमुच इस नए आर्थिक युग में आलोचना का अर्थ ही परिवर...सचमुच इस नए आर्थिक युग में आलोचना का अर्थ ही परिवर्तित हो गया है .. 'निंदक नियरे राखिए , आंगन कुटी छवाय' की पुरानी धारणा घ्वस्त होती दिखती है .. पर अपने कर्म के प्रति गंभीर रहा जाए और आलोचनाओं से धैर्य न खोया जाए .. तो हर प्रकार की आलोचना से हम अपने को और सुधार पाने में कामयाब ही होते हैं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-68777153389004428952009-11-05T08:39:31.557+05:302009-11-05T08:39:31.557+05:30आलोचना, समालोचना, विवेचना, प्रतिक्रिया...
सीधी बात...आलोचना, समालोचना, विवेचना, प्रतिक्रिया...<br />सीधी बात कहना ही बेहतर है...<br />बाकी दियां गला छड्डो, दिल साफ होणा चाहिदा...<br />वैसे मूर्ख दोस्त से समझदार दुश्मन बेहतर माना जाता है...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-27615801653600888812009-11-05T08:33:29.022+05:302009-11-05T08:33:29.022+05:30माफ कीजिएगा, विषयांतर कर रहा हूं. चिट्ठे की भूरी प...माफ कीजिएगा, विषयांतर कर रहा हूं. चिट्ठे की भूरी पृष्ठभूमि तेज पठन (स्पीड रीडिंग) में बाधक है. कृपया श्वेत पर काला अक्षर ही रहने दें तो उत्तमरवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-3810453617769475452009-11-05T07:50:24.634+05:302009-11-05T07:50:24.634+05:30कोकास भाई कहें अनर्थ कर /कह रहे हैं -आपके विवेचन न...कोकास भाई कहें अनर्थ कर /कह रहे हैं -आपके विवेचन ने भ्रम मिटा दिया ..<br />मैं आपकी परीक्षा लूँगा ? जब भारद्वाज ने याज्ञवल्क से राम के बारे में जानना चाहा था तो क्या वे उनकी परीक्षा ले रहे थे ?<br />यह विचार विनिमय क्या उसी परम्परा में बहुजन हिताय नहीं है? <br />अब आप बताएं की अंगरेजी में जिसे पीयर रिव्यू (peer review)कहते हैं हिन्दी में उसका समानार्थी क्या है ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-8119438970458621162009-11-05T07:44:40.297+05:302009-11-05T07:44:40.297+05:30नये युग की परिभाषा:
आलोचना: बिना मतलब आपके अच्छे...नये युग की परिभाषा:<br /><br /><br />आलोचना: बिना मतलब आपके अच्छे लिखे को लथाड़ना.<br /><br />समलोचना: बमकसद आपके कैसे भी लेखन की तारीफ...<br /><br />संबंध आधार बनते हैं कि आलोचना हो या समालोचना.<br /><br /><br /><br />करेंट बात कर रहा हूँ कृप्या कहीं जोड़ कर न देखें....Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-90202331509242961422009-11-05T07:40:06.542+05:302009-11-05T07:40:06.542+05:30वैसे चलते चलते फित गहरा टिका गये महाराज: आलोचना का...वैसे चलते चलते फित गहरा टिका गये महाराज: आलोचना का अर्थ केवल निन्दा नहीं होता है ,प्रशंसा भी होता है.<br /><br />निश्चित तौर पर यह सोचनीय है. आपको अगंभीरता से लेना अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने जैसा है भाई!! सच में..मजाक नहीं!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-56936719527991751132009-11-05T07:37:14.935+05:302009-11-05T07:37:14.935+05:30@ अरविन्द जी आप ने आलोचना,समालोचना में भेद जानना ...@ अरविन्द जी आप ने आलोचना,समालोचना में भेद जानना चाहा है । आलोचना व समालोचना दोनो में मूलभूत कोई अंतर नहीं है । दोनों सैद्धांतिक,व्यावहारिक व विस्तृत होती हैं । सामान्यत: आलोचना का अर्थ केवल निन्दा से तथा समालोचना का अर्थ निन्दा व प्रशंसा दोनों से लिया जाता है लेकिन साहित्य में ऐसा नहीं है । आलोचना व समालोचना दोनो में निन्दा व प्रशंसा शामिल होती है । साहित्य में आलोचना शब्द ही प्रचलन में है । इसके अलावा समीक्षा सामान्यत: एक कृति की, एक अवसर (event) की, हो सकती है इसमें निहितार्थ को इंगित (point out) किया जा सकता है । व्याख्या से तात्पर्य विस्तारपूर्वक विश्लेषण से है यह एक ग्रंथ से लेकर एक पंक्ति तक की हो सकती है । वैसे आप विद्वान हैं ,इन शब्दों का अर्थ बखूबी जानते हैं यहाँ सिर्फ मेरी परीक्षा लेने के लिये यह पूछ रहे हैं ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7651604065568360360.post-55795748621720661452009-11-05T07:23:42.090+05:302009-11-05T07:23:42.090+05:30आलोचना और समालोचना में फर्क बताईये !आलोचना और समालोचना में फर्क बताईये !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com