रविवार, 1 नवंबर 2009

नामवर सिंह अगर ब्लॉग लिखते तो....


डॉ. नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को वाराणसी जिले के जीयनपुर नामक गाँव में हुआ । काशी विश्वविद्यालय से उन्होने हिन्दी में एम.ए.और पी.एच डी . की । 82 वर्ष की उम्र पूर्ण कर चुके नामवरजी विगत 65 से भी अधिक वर्षो से साहित्य के क्षेत्र में हैं । पिछले 30-35 वर्षों से वे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर व्याख्यान भी दे रहे हैं । हमारे एक मित्र ने पिछले दिनों पूछा कि आखिर यह नामवर जी हैं कौन ? तो मन में आया कि उनका यह सन्क्षिप्त सा परिचय प्रस्तुत कर ही दूँ , शायद  बहुतों के मन में यह सवाल हो । उनका यह परिचय मुझे सापेक्ष के आलोचना अंक में मिल गया  सो जस का तस प्रस्तुत कर रहा हूँ ।                                            डॉ. नामवर सिंह का परिचय                                    
अध्यापन : अध्यापन कार्य का आरम्भ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से (1953-1959) जोधपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष(1970-74 ) आगरा विश्वविद्यालय के क.मु.हिन्दी विद्यापीठ के प्रोफेसर निदेशक (1974) जवाहरलाल नेहरू  विश्वविद्यालय दिल्ली में भारतीय भाषा केन्द्र के संस्थापक अध्यक्ष तथा हिन्दी प्रोफेसर (1965-92) और अब उसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर इमेरिट्स । महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ।
सम्पादन : “आलोचना” त्रैमासिक के प्रधान सम्पादक।“जनयुग”साप्ताहिक (1965-67) और “आलोचना” का सम्पादन(1967-91) 2000 से पुन: आलोचना का सम्पादन ।1992 से राजा राममोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान के अध्यक्ष । अब तक साहित्य अकादमी पुरस्कार 1971 ।
सम्मान: हिन्दी अकादमी दिल्ली के “शलाका सम्मान”(1991) उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान के “ साहित्य भूषण सम्मान (1993) से सम्मानित ।
कृतियाँ : 1996 बकलम खुद ,हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग ,पृथ्वीराज रासो की भाषा, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ, छायावाद, इतिहास और आलोचना ।
सम्पादित ग्रंथ : कहानी:नई कहानी , कविता के नये प्रतिमान,दूसरी परम्परा की खोज, वाद विवाद सम्वाद, कहना न होगा । चिंतामणि भाग-3 , रामचन्द्र शुक्ल संचयन , हजारीप्रसाद द्विवेदी:संकलित निबन्ध, आज की हिन्दी कहानी, आधुनिक अध्यापन रूसी कवितायें , नवजागरण के अग्रदूत : बालकृष्ण भट्ट ।
            नामवर जी ने पिछले वर्षों मे बहुत कुछ कहा है , उनके व्याख्यानों का संकलन अभी होना है । जो नहीं कहा है और लिखा है वह भी बहुत सारा है । मैं सोच रहा हूँ कि नामवर जी अगर ब्लॉग लिखते तो इतने सब कहे-लिखे की कितनी हज़ार पोस्ट तैयार होती और कितने वर्षों तक प्रकाशित होतीं ।- शरद कोकास 
(प्रथम चित्र रायपुर में नामवर सिंह साथ में मुक्तिबोध के पुत्र दिवाकर ,बच्चू जांजगिरी, रमेश अनुपम,महावीर अग्रवाल , दूसरे चित्र में दिल्ली मे मनोहर बाथम की पुस्तक का विमोचन बाँये से विष्णु नागर,मनोहर बाथम,नामवर सिंह,केदारनाथ सिंह, चन्द्रकांत देवताले , कमला प्रसाद ।-चित्र शरद कोकास के कैमरे से )


26 टिप्‍पणियां:

  1. नामवर यूँ ही तो नामवर नहीं हैं. नामवर जी का परिचय प्रस्तुत करने के लिये साधुवाद

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  2. को नहीं जानत है जग में ........फिर भी शुक्रिया !

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  3. नामवर जी का नाम तो बहुत सुना शरद भाई आज आपके माध्यम से परिचय भी हो गया...बहुत सारी उपल्ब्धियां हैं ...आभार

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  4. नामवर सिंह जी के बारे में जानकारी बहुत बढ़िया लगी ..साहित्य से अब जुड़ा तो ऐसे जानकारी बहुत अच्छी लगी वैसे नामवर सिंह जी का घर हमारे यहाँ से बस २० कि. मी. दूर है....वैसे अब थोड़ा बहुत टाइम बचा है वो चाहे तो ब्लॉग शुरू कर सकते है कम से कम ब्लॉग की महिमा कुछ तो समझ में आ जाएगी...

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  5. @अरविन्द जी,यह परिचय उन लोगों के लिये प्रस्तुत किया गया है जिन्होने संगोष्ठी के उद्घाटनकर्ता के रूप में उनका नाम आने के पश्चात अत्यंत सहज भाव से पूछा है "यह कौन हैं?"हमारे जैसे कुछ अन्य लोगों ने भी जो इन्हे जानते हैं अत्यंत सहज भाव से पूछा " ये होते कौन हैं?" इसका उत्तर भी मित्रों ने अपने ब्लॉग्स पर दे दिया है। अब एक तीसरा पाठ इन्ही शब्दों से बनता है ? ये(आपके)कौन होते हैं? तो मैं बता दूँ कि ये मेरे कोई नहीं होते हैं। मैं ठहरा एक अदना सा कवि ये मुझे जानते तक नहीं हैं न ही इन्होने मेरी कोई कविता पढ़ी है। एक लम्बी कविता "पुरातत्ववेत्ता" ज्ञानरंजन जी ने भेजी थी ,मैने भी भेजी पर इन्होने पढ़ी नहीं ( अब क्या पता पढ़ी भी हो साहित्य जगत में ब्लॉग जैसी त्वरित टिप्पणियो की सुविधा तो है नहीं जो पता चले ) बहरहाल आपकी टिप्पणी के लिये बहुत बहुत् धन्यवाद ।

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  6. Why does a poet always look for the approval of a Critic ? Critics played a vital role by making us understand the old literature . They collected and edited classics and did the time -division as well ,but in the context of modern literature a critic is the most redundant and outdated fellow . He should be seen in the form of books only and should not be given extra-importance.

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  7. परिचय प्रस्तुत करना ठीक है, लेकिन नामवर इस परिचय से इतर भी बहुत कुछ हैं। वे हिन्दी भाषा के विकास, हिन्दी साहित्य के विकास में रचे-बसे हैं।

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  8. जानकारी के लिये धन्यवाद............पर हम नही पुछेगे की ये कौन है?

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  9. जानकारी के लिये धन्यवाद............पर हम नही पुछेगे की ये कौन है?

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  10. नामवर सिंह जी के बारे में इतनी जानकारी देने का आभार !!

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  11. Sharad bhaiya, Suprabhatam,

    abhi abhi so kar utha hoon.......... aaj sunday hai na.... isliye mera suprabhatam abhi ho raha hai....... uthte hi computer khola.......ab aadat ho gayi hai........ subah subah uparwale ka naam lene ke bajaaay.... blog pehle kholta hoon....... aapke dwara NAAMWAR jee ka jeevan parchay bahut achcha laga..... bahut mahaan hain NAAMWAR jee.. bahut achchi lagi aapki yeh post...

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  12. आश्चर्य होता है कि आलोचकों की महफिल में नामवर सिंह का परिचय देने की जरूरत पड़ गई। खैर...हरि अनंत हरि कथा अनंता....

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  13. एक दम सही। ऐसे ही जानकारियां देते हो। कल को जो भी खोजे। गूगल पर बस हिन्दी ही हिन्दी मिले। देखकर मन खुशी से खिले।

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  14. बहुत सुंदर जानकारी दी,पढ कर अच्छा लगा. बुजुर्ग है इओस लिये हमे इज्जत से इन का नाम लेना चाहिये.धन्यवाद

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  15. बहुत ही सुंदर और व्यवस्थित जानकारी दी है। शुक्रिया।

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  16. नामवर??? अरे भाई नाम ही काफी है.. और कुछ कहने कि जरूरत ही नहीं है.. :)

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  17. नामवर सिह हिंदी साहित्य जगत के जाने माने आलोचक है ..उन्हें किसी नाम और ब्लॉग की की जरुरत नहीं है .....वैसे उस समय ब्लाग्क्स होते तो सचमुच उनके दसो हजार पोस्टे होती .

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  18. नामवरजी बिना लिखे ही इतना तहलका मचा रहे हैं, यदि ब्लाग लिखना शुरू करें तो न जाने कितनों की छुट्टी हो जाए:)

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  19. आपने यह बहुत अच्छा किया। कुछ अतिशय (तगड़े) आत्मविश्वास से भरे लोग अपने अज्ञान का ज्ञान प्राप्त कर लेंगे।

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  20. naamvar singh ji ka jikra aaye aur hindipremiyon ke snaayu tantra me halchal na ho aisa to mujhe sambhav nahi lagta. philhaal to main aapka aabhaar ke saath intizaar bhi kar raha hoon ki kab naamvar ji ke lekhon ko hum tak uplabdh karwaate hain. stutya prayaas ke liye dhanyawaad.

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  21. अभी 2-3 दिन पूर्व चिट्ठाजगत द्वारा प्रेषित नए चिट्ठों की सूचना में प्राप्त लिंक्स द्वारा यहाँ पहुँचने पर इसे देखा| आप भी देखें - http://nsaalochak.blogspot.com

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  22. अगर ब्लॉग लिख रहे होते तो अभी सब लोग १००००० वीं पोस्ट की बधाई और शुभकामनाएँ दे रहे होते.. :)

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  23. अगर नामवर जी ब्लॉग लिखते तो लिखते...कुछ लोग ऐसे होते हैं कि उनके कुछ भी करने में एक बात होती है...

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  24. अगर नामवर जी ब्लॉग लिखते तो लिखते...कुछ लोग ऐसे होते हैं कि उनके कुछ भी करने में एक बात होती है...

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